राधा के कृष्णा, वृन्दावन की गोपियों के कृष्णा, यशोदा माँ का कान्हा और हमारे भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी कहा जाता है, आइये आज हम जन्माष्टमी पर निबंध पढ़ते हैं.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में
‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है, यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है| इसे भगवान् श्री कृष्ण के जन्म दिन के रूप में मनाते हैं.
जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, शिवजयंती के नाम से भी जाना जाता है|
महाराष्ट्र में जन्माष्टमी दही हांडी उत्सव के लिए विख्यात है| जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों में भव्य समारोह किये जाते हैं। सम्पूर्ण भारत में जगह जगह श्रीकृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं तथा रास लीला का आयोजन किया जाता है.
चलिए सबसे पहले जानते हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है ?
जन्माष्टमी पर निबंध – Krishna Janmashtami Essay in Hindi Language
श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे, मथुरा नगरी का राजा कंस (देवकी का भाई और श्री कृष्ण के मामा थे) था, जो कि बहुत अत्याचारी था| उसके अत्याचार उसके राज्य के निवासियों पर दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे.
एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव सहित काल-कोठारी में डाल दिया.
कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला| जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा.
श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देख रेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है.
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Short Essay on Janmashtami in Hindi For School Student
कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था तब कारागार के सभी पहरेदार सो गए थे देवकी-वासुदेव की बेड़ियाँ स्वतः ही खुल गई थीं और कारागार के दरवाजे स्वतः ही खुल गये थे। फिर आकाशवाणी ने वासुदेव को बताया कि वे अभी कृष्ण को गोकुल पहँचा दें।
तत्पश्चात् कृष्ण के पिता वासुदेव कृष्ण को सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी पार कर के गोकुल ले गए और नंद के यहाँ छोड़ आए, सभी लोग इसे कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं.
कंस ने तो कृष्ण के सात भाइयों को पैदा होते ही मार दिया था। फिर कृष्ण ने बचपन से युवावस्था तक कंस सहित अनेक राक्षसों का वध किया और अपने भक्तों का उद्धार किया।
यही कारण है कि लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना एवं भक्ति करते हैं.
मथुरा और वृन्दावन जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था वहां की जन्माष्टमी पुरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है| कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था.
यह त्योहार कभी अगस्त और कभी सितम्बर में पड़ता है। कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी को लोग व्रत रखते है और आधी रात को 12 बजे कृष्ण का जन्म हो जाने के बाद घंटे-घड़ियाल बजाकर श्री कृष्ण की आरती उतारते हैं.
तत्पश्चात् सभी लोग अपने आस-पड़ोस और मित्र-रिश्तेदारों को ईश्वर का प्रसाद वितरण करके खुशी प्रकट करते हैं। फिर वे स्वयं खाना खाते है, इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखकर यह त्यौहार मनाया जाता है.
जन्माष्टमी पर निबंध इन हिंदी – श्री कृष्ण पर निबंध हिंदी भाषा में
वही बच्चो के लिए भी जन्माष्टमी किसी बड़े उत्सव से कम नहीं होता| श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बच्चे अपने घरों के सामने हिंडोला सजाते हैं, वे हिंडोले (पालने) में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारागार बना देते हैं.
उसमें देवकी और वासुदेव को बिठा देते हैं कारागार के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं, इसी प्रकार उसके आसपास अन्य खिलौने रख देते हैं| इन्हें देखने के लिए आस-पास के बहुत लोग आते हैं| वहाँ एक तरह का मेला-सा लग जाता है.
जहाँ स्थान अधिक होता है वहाँ झूले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं, बच्चे वहाँ हिंडोला देखने के साथ-साथ झूला झूलते हैं और खिलौने वगैरह भी खरीदते हैं| विशेषकर जन्माष्टमी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं क्योंकि कई प्रकार के खिलौने खरीदकर उन्हें हिंजोला सजाना होता है.
कई स्थान पर कृष्ण-लीला भी होती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मंदिर और बांके बिहारी का मंदिर मुख्य है.
वही भारत के कुछ जगहों पर जन्माष्टमी के दिन अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं|
छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है.
दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं|
उपसंहार :-
मै अंत में यह ज़रूर बोलना चाहूँगा कि जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान बहुत पहले से ही चला आ रहा है, आपको अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए| कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार ही आप व्रत करें.
पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए.
मेरा यह जन्माष्टमी पर निबंध का लेख अब यही पर समाप्त हो रहा है, यदि आपको कोई प्रशन है तो कमेंट कर के क्लियर ज़रूर करे.
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